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ख़्वाब के इंतज़ार में
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ख़्वाब के इंतज़ार में ख्वाब के इंतजार में सारी रात गुजारी हमने। चाहत इश्क की थी, और की नींद से मारा मारी हमने। बुलंदियां त्याग चाहती थी की वक्त से साझेदारी हमने मुकम्मल मंजिल न हुयी की खुद से गददारी हमने। सज़ा के लिये था तैयार की दिखायी होशियारी हमने रच दिया सडयंत्र ऐसा की न आने दी अपनी बारी हमने। • रामानुज "दरिया" - YourQuote.in