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Showing posts from January, 2022

किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

इस  क़दर  भी  न   सताया  करो।

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  पास  आकर  न  दूर  जाया  करो इस  क़दर  भी  न   सताया  करो। ख़्वाबों   के    दरमियां   फासले  हैं न  ख्वाबों  से  तुम  घबराया  करो। जिंदगी की  असली  कमाई  तुम हो मेरी  कमाई  से न मुकर जाया करो। दिल  दे  दिये  हो तो भरोसा रख्खो हर  जगह  न  हाथ आजमाया करो। गम-ए-जिंदगी  जीना तो आसां नहीं मग़र थोड़ी थोड़ी तो सुलझाया करो सभी को आईने दिखाना जरूरी नहीं गिरेबां में अपने भी झांक जाया करो। गर हो गया हूँ रुस्वा तो थोड़ा ध्यान दो कभी कभार तो हमें भी मनाया करो। बेसक नहायी हो तुम नीली झील में वक्त रहते केशुओं को सुखाया करो। सवांरती फिरती हो जिन ज़ुल्फों को उन जुल्फों में न हमें उलझाया करो। ये  इबादत के दिन  हैं तो सुनो दरिया खुदा  की रहमतों में मुस्कुराया करो। अपनी आदतों से क्यूं बाज नहीं आती मु आंख तुम इतना न मटकाया करो।

जहां कल था वहीं आज हूँ।

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 जहां कल था वहीं आज हूँ मैं  ही  रस्म-ओ-रिवाज़  हूँ।  लड़की  की  आबरू हूँ  मैं और मनचलों पर गाज  हूँ।  बुर्का  और   घूंघट  भी  हूँ मैं  ही  जलता  समाज  हूँ।  मैं  मोहब्बत  और ताज हूं मोहब्बत  को मोहताज़ हूँ।   फसल   और   किसान  हूँ मैं  ही  गांव  का अनाज हूँ। संस्कारों    का   गिद्ध    हूँ जिम्मेदारियों  का  बाज हूँ। बसपा   का   प्रशासन   हूँ मैं  सपा  का  गुंडा  राज हूँ। कर्मों   का    योगी   हूँ   मैं अयोध्या  का  राम राज हूँ। सपनों    का     सूरज    हूँ मैं  ही   डूबता   जहाज़  हूँ। खामोशी   का   समंदर   हूँ मैं   वक्ता   चाल   बाज  हूँ।

नाज़ुक दिल है ज्यादा मत दुखाना।

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  भूले   से   भी   जान  भूल  मत  जाना नाज़ुक  दिल  है  ज्यादा  मत  दुखाना। आ  गया  हूँ  मैं धनवानों की कतार में जान  तू  ही  है  मेरा  असली खजाना। प्यार  तुमसे  है,  बस  यही  था  कहना आता  नहीं  मुझे  ज्यादा  बातें  बनाना। चाह  है  मिलने  की  हम  मिलेंगे जरूर रोक सकेगा  कब  तक  बेरहम जमाना। ख्वाबों का कोई शहर  होता नहीं दरिया बस  प्यार  से  प्यार  का  ध्यान लगाना। आ जाये आँशुओँ  का सैलाब जो कभी इक बार सनम की आंखों में डूब जाना। अनजान था इश्क़ की गुमनाम गलियों से आता  नहीं  मुझे खुद का वज़ूद मिटाना। बिरह  का  दिन  ऐसा भी होता है दरिया भूल  गयी  ओ  हाथों  में  मेंहदी लगाना। जीने  का अंदाज बदल दिया  कोरोना ने सीख  लिया  हमने  नयनों से मुस्कुराना। महसूस  करता  हूँ  महफूज़ तेरी बाहों में न चाहिए इससे बेहतर कोई आशियाना। जो कह दिया सो कह दिया सोंचना क्या आता  नहीं  मुझे  बातों  से  मुकर जाना।

जिसने ख़ुद को मिटा दिया मेरे खातिर।

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  मैं लड़ता ही कब तलक उससे आख़िर जिसने ख़ुद को मिटा दिया मेरे खातिर। उसकी तो मजबूरियां  थी बिछड़ने की इल्ज़ाम  बेवफ़ा  का लिया मेरे खातिर। बेशक   था  मैं   मोहब्बत   का  दरिया तरस गया हूँ  इक बूंद प्यार के खातिर। जिस्म-फ़रोसी से निकाल कर लायी है उससे ज्यादा उसका दिमाग था शातिर। चलो  अब  इक   राह   नयी   बनाते  हैं कुछ और नहीं ,अपने प्यार  के ख़ातिर। दुनिया  का  एक  सच ये  भी  है 'दरिया' भेंट   होती   रहती   है  पेट  के  ख़ातिर। सेहत  गिरती   रही  मेरी  दिन  -  ब - दिन पीछे  भागता  रहा   मैं  स्वाद  के ख़ातिर। हर   कोई   तुम्हारा    हम   दर्द  है   दरिया तरसोगे  नहीं   चुटकी  भर  नमक ख़ातिर। उलझ  जाते  हैं  सारे  रिस्ते  सही  गलत में लड़ना  पड़ता   है   यहां   प्यार  के ख़ातिर। हर  फ़ैसला  हमारा  सही  हो ज़रूरी तो नहीं बहुत कुछ करना पड़ता है व्यापार के ख़ातिर।

मेरी   सुबह   की  सलाम   ले  जाना।

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  मेरी   रातों   की   नींद   उड़ाने   वाले मे री   सुबह   की  सलाम   ले  जाना। खामोशियों   के  अनछुये   रिश्तों   से इश्क़  का  तकिया  कलाम  ले  जाना। जा रही  हो  तो  सुनो  इक बार सनम साथ,अपने दिल का निज़ाम ले जाना। तेरे  इशारों पे  नाचता  फिरता था जो साथ अपने जोरू का गुलाम ले जाना।

नाम उसका फरिश्तों में आ जाये।

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ओ शरारतें, शैतानियां और लड़कपन जी करता हम पुराने रिस्तों में आ जायें। ताकना, झांकना, एक दूजे को डांटना भले खुशियां हमारी किस्तों में आ जायें। कोई शख़्स ऐसा जो मिला दे फिर से हमे यकीनन नाम उसका फरिश्तों में आ जाये। चुन लें कुछ फूल हम भी पुराने लम्हों से फिर तो नाम हमारा मौला-मस्तों में आ जाये। मिल जाऊँ उसे आज भी आसानी से गर नाम मेरा बड़े सस्तों में आ  जाये।

हमें भी पिला दो।

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कोई  राह  हमें  भी  दिखा दो चलना  तो  हमें  भी सिखा दो। भटक रही है दर-बदर जिंदगी किसी ठिकाने हमें भी लगा दो। कब तक रहेंगे मजधार में ख़ुदा किसी किनारे हमें भी लगा दो। सोया सोया स है ये जुनून मेरा अब तो नींद से हमें भी जगा दो। बन्द क़िस्मत का ताला जो खोल दे ऐसे जादूगर से हमें भी मिला दो। जिस प्याले को पीकर अमर हुये दो बूंद उसका हमें भी पिला दो। लगाये रखा जिसने सीने से हमें मिटा उसके सारे शिकवे गिला दो तेरे आशियाने में रोशनी कम हो मेरे दिल का हर कोना जला दो। यूं तो मिले होंगे तुझे लाखों सनम इक बार खुद से हमें भी मिला दो।

जब से 'जान' तेरा जाना हुआ।

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जिस्म-ए-जान बेगाना हुआ। जब से 'जान' तेरा जाना हुआ चीख पड़े तकिया बिस्तर भी जब से 'जान' तेरा जाना हुआ छुप - छुप के रोती है छोटी भी बड़ी का गायब मुस्कुराना हुआ आंगन में मां सिसकती रही बाप का गायब तराना हुआ। चेहरा भाई की भी हवाई हुआ अश्क-ए-पलक जमाना हुआ। कली गली की भी सूख गयी उजड़ा चमन स घराना हुआ।

जीवन का हर हिस्सा बंजर रहा।

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  मुसीबतों के साये में लंगर रहा जीवन का हर हिस्सा बंजर रहा। कोई कितना यकीं कर ले दरिया तू घोंपता पीठ पीछे खंजर रहा। मंजिल -ए-इश्क़ तो जिस्म ही है हवस का भूख और हंगर रहा। डटा रहा मैं रिश्तों के कुरुछेत्र में पाया टूटा मेरा अस्थि पंजर रहा। कोशिश तो बहुत की तुझे पाने की किस्मत का पहिया सदा पंचर रहा।

उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं।

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  जो  हालात  से  लड़े और खड़े रहे जो  गिर  गये  धरा पे और पड़े रहे। उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  प्रयास  किये  और  बढ़ते  रहे नित  नये   कीर्तमान   गढ़ते   रहे। उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  उम्मीदों  के  साये में जीते रहे और  घूंट   ज़हर   का   पीते  रहे। उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  जी  भर  के  अनुभव  लिये धन  , संपदा  और  वैभव  लिये उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  हाथ  पे   हाथ  धरे   रह   गये और  आँख  में  आँशु  भरे  रह गये उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  लाज  के  काज  से  परे   रहे और  कर्म  के  साज  से  सजे  रहे उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  सूरज  की  आग  में जलते रहे और चंद्रमा की शीतलता भरते रहे उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो   शीप   से   मोती   लेते   रहे ख़ुद   को  मोती   से  भरते   रहे उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो ख़्वाबों की दुनिया  में जीते  रहे और  जुल्फों  के  साये  में सोते रहे उन्हें भी नव वर्ष की शुभकामनाएं। जो  लाठी  डंडों   से   पढ़ाते   रहे और शव्दों से सबको जलाते  रहे। उन्हें भी नव वर्ष की शुभ