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Showing posts from October, 2020

किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  
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मांगा ही क्या था जो इनकार कर दिया हाथों की लकीरों पर ही वार कर दिया। गम  ही  तो  है जहां में जो सिर्फ मेरा है वक्त  पर  ही  सबने  इतवार कर दिया। दिन  गुजरने  की  बात  करते हो जनाब रातों का होना भी यहां दुस्वार कर दिया।

उदास सिलवटों की तुम्हीं सयन थी मेरी।

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  तुम्हीं आह थी मेरी तुम्ही चाह थी मेरी मुस्कुराने की बस तुम्हीं राह थी मेरी। तुम्हीं रण थी मेरी तुम्हीं प्रण थी मेरी चुम्बन की आखिरी तुम्हीं छण थी मेरी। तुम्हीं हया थी मेरी तुम्हीं दया थी मेरी मेरे अल्फ़ाज़ों से तुम्हीं बयां थी मेरी। तुम्हीं नयन थी मेरी तुम्हीं चयन थी मेरी उदास सिलवटों की तुम्हीं सयन थी मेरी। तुम्हीं अगन थी मेरी तुम्हीं लगन थी मेरी चूमते मेरे माथे की तुम्हीं सजन थी मेरी। तुम्हीं जीत थी मेरी तुम्हीं हार थी मेरी बहते आँशुओं की तुम्हीं धार थी मेरी। तुम्हीं आज थी मेरी तुम्हीं साज़ थी मेरी छुपाता फिरूं जिसे तुम्हीं राज़ थी मेरी। तुम्हीं सवाल थी मेरी तुम्हीं हवाल थी मेरी होते अन्तर्द्वन्द की तुम्हीं बवाल थी मेरी। तुम्हीं गीता थी मेरी तुम्हीं कुरान थी मेरी बातें शास्त्र की करें तुम्हीं पुरान थी मेरी।      "दरिया"

रिस्ते प्रेम के ही हैं जो कभी पुराने नहीं लगते।

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  बिन साथ सफर जिंदगी के सुहाने नहीं लगते रिस्ते प्रेम के ही हैं जो कभी पुराने नहीं लगते। चाह कितनी भी हो इस जमाने की दरिया दीपक घरों के कभी बेटे जलाने नहीं लगते। आंधियों ने गर पैगाम भेजा है तो सुन लो किसी ख़ौफ़ से हम दीपक बुझाने नहीं लगते। मिला हूँ तुझसे तो सिर्फ तुम्हारी आत्मा से  इतने में परमात्मा विधान मिटाने नहीं लगते। गर इश्क था तो बेड़ियां राह बनाकर चली आना हम यूं ही ख्वाबों में जान लुटाने नहीं लगते। मानता हूँ कि कुछ कसर रह गयी मेरी तरफ से मगर  जाने  के  ये  सटीक  बहाने  नहीं लगते। जब  जहां  जैसे  चाहा  छोड़  दिया  दरिया हमें भुलाने में किसी को जमाने नहीं लगते।               " दरिया"

दुखी नहीं मैं बहुत उदास हूँ।।

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  दुखी नहीं मैं बहुत उदास हूँ दर्द  का  मीठा  अहसास  हूँ। तेरी चाहत में सब कुछ भूल गये मंजिल-ए-सफर में झूल गये तेरी चाहतों ने मुह मोड़ लिया उन तड़पती यादों के पास हूँ। प्यार नहीं मैं तो बस प्यास हूँ दुखी नहीं मैं बहुत उदास हूँ।। आंधियों में जले, ओ मसाल था आदर्शों  की  ऐसी  मिशाल था वक्त     से    बहुत    परास्त  हूँ जुनूं  नहीं  मैं  तो  इक  आश  हूँ दुखी  नहीं  मैं  बहुत  उदास  हूँ।।                "दरिया"

गर आंखें इतनी सैतानी न हों।।

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  गर   आंखें   इतनी   सैतानी  न  हों तो मोहब्बत में इतनी परेशानी न हो। पिछली अदा से ही सहमा हुआ हूँ मैं अब और अदा कोई तूफानी न हो। मद  मस्त  पवन  की  मीठी  फुहार अब बारिश भी कोई मस्तानी न हो। दौर-ए- जहां में किस किस से प्यार हुआ अब  और  कोई  प्रेम  कहानी  न  हो। या मौला मुकम्मल जिंदगी ऐसी कर इस पर और किसी की मेहरबानी न हो। कोई टूट न जाये, कोई रूठ न जाये अब रिश्तों  में  ऐसी  हैवानी  न  हो।            "दरिया"

हजार कोशिशें ज़माने की नाकाम हो जायेगी

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हजार कोशिशें ज़माने की नाकाम हो जायेगी जिस दिन मोहब्बत मेरी बेनकाब हो जायेगी। खुद को नहीं रोक पायेगी जब दर्द मोहब्बत बन जायेगी। दिल में तड़प इतनी होगी इधर की आग उस तरफ भी लग जायेगी। या तो खुद दौड़ी चली आयेगी या आँशुओं के समंदर में डूब जायेगी। ये जमाना यूं ही हाथ मसलता रह जायेगा जिस दिन मौत मेरी मोहब्बत बन जायेगी।           "दरिया"

मन भरा भरा स लगता है।

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 जब से तुम गये हो दरिया मन भरा भरा स लगता है अंदर तो रेगिस्तान ही है बाहर हरा भरा स लगता है। ऐसा नही की आओगे नहीं तुम लौट कर ए  दरिया पर न जाने क्यूं ये मन अब डरा डरा स लगता है। "दरिया"

बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी।

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  घुटन सी होती है अब तेरे साथ ज़िन्दगी जी चाहता है छोड़ दूं कायनात जिंदगी। पग - पग गर छलने का ही रिवाज़ है यहाँ जी चाहता है मिटा दूं  हर पाथ जिंदगी। तेरे संग आंखों ने देखे जो ख्वाब मेरी जान देखो न किस क़दर गुजरती हर रात जिंदगी। पहली भी तुम और आखिरी भी तुम्हीं थी न समझ सकी तुम इत्ती सी बात जिंदगी। बिरह का एक पल एक बरस स लगता है क्यूं छोड़ गयी तुम ऐसे हालात में जिंदगी। सुलाने और जगाने भी कोई नहीं आता बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी। मेरी होकर भी तुम मेरी नहीं हो सकती देख ली मैंने विवशता-की-साख जिंदगी।          "दरिया"

हमें तो ये भी मालूम नही है।

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  किस खता की सजा मिली हमें तो ये भी मालूम नही है। कोई  तो जल जला आया होगा किसी ने मोहब्बत दफनाया होगा कैसे बस्तियां वीरान हुयी हमें तो ये भी मालूम नहीं।     दरिया

बचा कौन उम्र-ए-दौर गुलाबी गालों से।

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 मैं उबर न पाया कभी उसके ख्यालों से उलझी रही उम्र भर अपने सवालों से। खूबसूरत था चंद दिनों का जो सफर  परेशान रहा चाह पाने की मलालों से। बताया था "दरिया" प्यार में मत पड़ना बचा कौन उम्र-ए-दौर गुलाबी गालों से। एक तरफा मोहब्बत कभी रास न आयी बिन हवा के न घटा छायी उन बालों से।

और कितना प्यार करे कोई।

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  हालात से कितना लड़े कोई और कितना प्यार करे कोई। सारे रिश्ते ही दीवार बन गये इन्हें कितना तोड़ता रहे कोई। खोना भी नहीं, पाना भी नहीं इस भंवर में कबतक रहे कोई। वादा है, इक बार हम मिलेंगे फ़क़त वादे संग कैसे रहे कोई। न मैसेज न ही अब बात कोई घुट - घुट के कैसे जिये कोई।

तुम्हें क्या पता कि तुम मेरे लिए क्या हो

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  तुम्हें क्या पता कि  तुम मेरे लिए क्या हो तुम्हीं मेरी बाग हो तुम्हीं मेरी काग हो होली के रंगों में मिली तुम्हीं मेरी फ़ाग हो। तुम्हीं मेरी आस हो तुम्हीं मेरी काश हो आरज़ू-ए-सीने की तुम्हीं मेरी सांस हो। तुम्हीं मेरी हाल हो तुम्हीं मेरी चाल हो बिसम परिस्थितियों में तुम्हीं मेरी ढाल हो। तुम्हीं मेरी गीत हो तुम्हीं  संगीत  हो हुयी आत्मा से जो तुम्हीं मेरी प्रीत हो। तुम्हीं मेरी आह हो तुम्हीं मेरी चाह हो अदृश्य मंजिल की तुम्हीं मेरी राह हो। बचपन का पांव हो तुम्हीं मेरा गांव हो जुटते थे पंच जहां पीपल की छांव हो। शांत सी अबोध हो तुम्हीं मेरी शोध हो संभाल न सकूं जो तुम्हीं मेरा क्रोध हो जीवन  की  रंग   हो जिंदगी  की  जंग  हो साये  की  तरह  रहती तुम्हीं मेरी अर्ध अंग हो। आंखों का नज़ारा हो तुम्हीं मेरा सहारा हो डूबती   दरिया   का तुम्हीं तो किनारा हो। मेरी हर बात हो तुम्हीं जज़्बात हो छुपाता फिरूं मैं जमीनी कागजात हो जिंदगी की नाय हो तुम्हीं मेरी राय हो सुबह,कड़क वाली तुम्हीं मेरी चाय हो।      "दरिया"