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Showing posts from April, 2020

असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

पर्दा हटा रखना।

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पलकें  भिगो  कर  सींचा  है  हमने हो  सके  वतन को हरा भरा रखना। वर्षा  नहीं  सकते हो दो फूल मुझ पर पत्थर फेंकने से खुद को बचा रखना। बीच  की  दूरियों को इतना सज़ा रखना हो सके हथेलियों को सफा-सफा रखना शौक  नहीं लाठियां  भांजने  का मुझे हो  सके  पलकों  से  पर्दा हटा रखना। न  दे  सको  दान  एक फूटी कौड़ी भी राष्ट्र  हित  में  तिज़ोरी  खुला  रखना।               'दरिया'

#पालघर

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बेशर्म  बेहया  निकम्मी  हो  गयी पुलिस पालघर की दल्ली हो गयी। घुटने  टेक  दिए  हैवानों  के आगे रक्षक कैसे इतनी डल्ली हो गयी। अज्ञानता  इतनी  पसर गयी वहॉं समझ  सकी  न  भाषा  संतों की संतों को पीट - पीट कर मार डाला मानवता कैसे इतनी निठल्ली हो गयी। #पालघर

बस अकेला रहा।

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तन्हाइयों  का  लगा  ऐसा  मेला  रहा मैं  जहां  भी  गया  बस  अकेला रहा। शक थी तो बस अपनी काबिलियत पर मैं  ईमानदार  गुरु  का  भ्रस्ट चेला रहा। लोगों ने  चाहा  भी  तो कुछ इस कदर व्यहार  अपनों  का  भी  सौतेला  रहा। ख़ौफ़ खंजरों से कभी खाया नहीं हमने रूप प्यार का ही जहरीला सपेला रहा। सेहत  सुधरे  भी  तो  कैसे  सनम का फलों  में  खाता  ही  सिर्फ़ केला रहा। गर चाहती खुशियां पास आने को कभी खुदा   मारता   गमों का बस ढेला रहा।

दिया

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एक   दिया  क्या  जला   दिया जग  से  अंधेरा   मिटा   दिया। कहता  था जो कहता रह गया बढ़कर हमने फ़र्ज़ निभा दिया। वेशक एक दिये से फर्क नि पड़ता एक-एक कर धरा जगमगा दिया। कोना  कोना यहां रोशन हो गया दिये ने अपना वज़ूद दिखा दिया। दिये से एकता का संदेश बता दिया कुछ इस कदर कोरोना भगा दिया।