असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

पर्दा हटा रखना।

पलकें  भिगो  कर  सींचा  है  हमने
हो  सके  वतन को हरा भरा रखना।

वर्षा  नहीं  सकते हो दो फूल मुझ पर
पत्थर फेंकने से खुद को बचा रखना।

बीच  की  दूरियों को इतना सज़ा रखना
हो सके हथेलियों को सफा-सफा रखना

शौक  नहीं लाठियां  भांजने  का मुझे
हो  सके  पलकों  से  पर्दा हटा रखना।

न  दे  सको  दान  एक फूटी कौड़ी भी
राष्ट्र  हित  में  तिज़ोरी  खुला  रखना।
              'दरिया'

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