असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

किसी का टाइम पास मत बना देना।


बातों का अहसास मत बना देना
मुझे किसी का खास मत बना देना
बस इतना रहम करना मेरे मालिक 
किसी का टाइम पास मत बना देना।

जान कह कर जो जान देते थे
ओ चले गये अनजान बन कर
फितरत किसकी क्या है क्या पता
बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर।

अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं
खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं
आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना
बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं।

हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है
किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है
अब किसी के लिये क्या रोना धोना
हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।



 

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