जाने क्यूं माँ नहीं सोती है।।

छुप-छुप कर बहुत रोती है
जाने क्यूं  माँ नही सोती है

रुक -रुक कर जो चलती है
दर्द धड़कन की जान लेती है
समझती है हर अल्फाज़ को
पढ़ती न कभी पोथी है
जाने क्यूं माँ नही सोती है

कुत्ते पालने का चलन क्या हुआ
तुलसी के नीचे जलती नही ज्योती है

बुढ़ापा इस क़दर न गवांरा है
सजती अनाथालयी कोठी है
जाने क्यूं.......….

बूंद -बूंद दरिया की पहचान लेती है
बच्चों के लिए माँ आसमान होती

उतरती चाँदनी है आंगन में
नसीब माँ की जब गोदी होती है

                   रामनुज "दरिया"



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