ये दरिया यूं ही चुप बैठता नहीं।





ये दरिया यूं ही चुप बैठता नहीं
उखाड़ फेंकता है जो सिस्टम बदलता नहीं।

आंधी हो या तूफ़ान चाहे आग बरसती रहे
मिटा देगा हर उस चीज को
जो कसौटी पर खरा उतरता नहीं
ये दरिया यूं.......

पत्थर का जिगरा है
इसे समझे कोई हलुवा नहीं
चीन हो या पाकिस्तान
गर डांट दे हिंदुस्तान
पैंट गीली न हो जाये
तो समझो कोई जलवा नहीं।
ये दरिया.......

फुदक-फुदक कर इक-इक तिनका रखता है
फूंक न दे पाकिस्तान को
ओ धरती-ए-हिन्द का बेटा नहीं
ये दरिया यूं.........
   
                      रामानुज "दरिया"

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