असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

तेरे सारे किरदार बदल गए |


न जाने कितने बदल गए
हवाओं ने बेरुखी की
सारे मौसम बदल गए |
तख्त-ए –ताज बदल गए
दिलों के सरताज बदल गए
जब मोहब्बत हमने की
सनम के अंदाज बदल गए |
सादगी में जीने क्या लगे
उनके तो atitude बढ़ने लगे
जब तेवर हमने दिखाए
सतरंज के सब चाल बदल गए |
प्यार के इम्तहां में फेल हो गए
अस्कों  के भी कई खेल हो गए
अंदर थे तेरी मोहब्बत बनकर
बाहर आते ही दरिया से मेल हो गए|
पूँछ लो आज दिल से मेरे
कितनी मोहब्बत है तेरे लिए
हाल-ए –दिल क्या बयाँ किया
तेरे सारे किरदार बदल गए |
हवाओं ने बेरुखी की
सारे मौसम बदल गए ||
        रामानुज ‘दरिया ‘

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