तेरे सारे किरदार बदल गए |


न जाने कितने बदल गए
हवाओं ने बेरुखी की
सारे मौसम बदल गए |
तख्त-ए –ताज बदल गए
दिलों के सरताज बदल गए
जब मोहब्बत हमने की
सनम के अंदाज बदल गए |
सादगी में जीने क्या लगे
उनके तो atitude बढ़ने लगे
जब तेवर हमने दिखाए
सतरंज के सब चाल बदल गए |
प्यार के इम्तहां में फेल हो गए
अस्कों  के भी कई खेल हो गए
अंदर थे तेरी मोहब्बत बनकर
बाहर आते ही दरिया से मेल हो गए|
पूँछ लो आज दिल से मेरे
कितनी मोहब्बत है तेरे लिए
हाल-ए –दिल क्या बयाँ किया
तेरे सारे किरदार बदल गए |
हवाओं ने बेरुखी की
सारे मौसम बदल गए ||
        रामानुज ‘दरिया ‘

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