असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जो चले गए,मेरे भगवान थे।।

 गांव से शहर लाये थे
हर समय बने रहते साये थे
हर समस्या का  समाधान थे
जो चले गए ,मेरे भगवान थे।।

मदद में रहते तत्पर थे
साल के भले ही सत्तर थे
मेरी जिंदगी के अरमान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।

जिंदगी कितनो की बनाये थे
जाने कितने चूल्हों की आग थे
फूंकते मुर्दो में जान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।

मिटाकर लकीरें बदनसीबी की
क़िस्मत नई लिखकर आये थे
देते मोड़ दरिया ऐसे चटटान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।

टूट गयी थी नींद उस रात को
तड़प रहे थे नयन बरसात को
न समझ पाया क्यूँ हम परेशान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।

            रामानुज'दरिया'

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