जो चले गए,मेरे भगवान थे।।
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गांव से शहर लाये थे
हर समय बने रहते साये थे
हर समस्या का समाधान थे
जो चले गए ,मेरे भगवान थे।।
मदद में रहते तत्पर थे
साल के भले ही सत्तर थे
मेरी जिंदगी के अरमान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।
जिंदगी कितनो की बनाये थे
जाने कितने चूल्हों की आग थे
फूंकते मुर्दो में जान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।
मिटाकर लकीरें बदनसीबी की
क़िस्मत नई लिखकर आये थे
देते मोड़ दरिया ऐसे चटटान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।
टूट गयी थी नींद उस रात को
तड़प रहे थे नयन बरसात को
न समझ पाया क्यूँ हम परेशान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।
रामानुज'दरिया'
हर समय बने रहते साये थे
हर समस्या का समाधान थे
जो चले गए ,मेरे भगवान थे।।
मदद में रहते तत्पर थे
साल के भले ही सत्तर थे
मेरी जिंदगी के अरमान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।
जिंदगी कितनो की बनाये थे
जाने कितने चूल्हों की आग थे
फूंकते मुर्दो में जान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।
मिटाकर लकीरें बदनसीबी की
क़िस्मत नई लिखकर आये थे
देते मोड़ दरिया ऐसे चटटान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।
टूट गयी थी नींद उस रात को
तड़प रहे थे नयन बरसात को
न समझ पाया क्यूँ हम परेशान थे
जो चले गए,मेरे भगवान थे।।
रामानुज'दरिया'
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किसी का टाइम पास मत बना देना।
बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।
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उनका भी इक ख्वाब हैं।
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