असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जब बसंत के आगमन होत हैं ||


संत की भंग होत तपस्या
जब बसंत के आगमन होत हैं
महक उठे गोरी के अंग –अंग
जब पवन मंद- मंद चलत हैं
साजन- सजनी रहें संग-संग
जब सुमन को भंवर तंग करत हैं
पांव में पायल बाजे छना-छन
जब नयनों से तीर दना-दन चलत हैं
आती है गोरी जब सामने मेरे
जिया मोरा धका-धक करत है
रसालों का योवन चूस लिए
तब भंवरे कैसे भना-भन करत हैं
बगिया में कोयल कूँ –कूँ करे
जब अमुआ सब बौरे लगत हैं
किसानन कय जियरा गद-गद होय
जब गेहुवन में गलुआ लगत हैं
मनवा मां सबके पीर उठत हैं
जब बसंत के आगमन होत हैं |

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