जिंदगी गन्ने के खेत में बीतेगी ||


लाखों जतन के बाद नौकरी जब छूटेगी 
तो जिंदगी गन्ने के खेत में बीतेगी ||

सब्र का बाँध जब डगमगायेगा
जिंदगी दरिया की रेत में बीतेगी ||

तड़प कर इश्क जब रोयेगा 
रात सिलवटों की सेज़ पर बीतेगी ||

भरे बाज़ार जब इज्ज़त लुट जाएगी 
जिंदगी इंसानियत की सेंत में बीतेगी ||

                  रामानुज 'दरिया'

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