कोई कहता तो कि हम हैं तुम्हारे
कर देता कुर्बान जिंदगी के सितारे
सीता बनकर तुम आओ तो सही
जंगल जंगल भटकते राम तुम्हारे
लत लगी हो जब मधुशाला की
फिर मतलब क्या ब्रांड की तुम्हारे
सफर किया हूँ मैं रूह तलक
करुँगा क्या बदन की तुम्हारे
उठाया है बोझ जिम्मेदारियों का
फिक्र नहीं वज़न की तुम्हारे
सुलगता रहे ज़िस्म बिरह में
करूं क्या बनकर सजन तुम्हारे
उड़ कर गए थे परिंदे चुगने
ढ़लते साम लौट आये वतन तुम्हारे।
कहना मत की इतला नहीं किया
मुहब्बत करती चरित्रता का हनन तुम्हारे।
बेशक गौर नहीं किया तुमने
हर पल करता हूँ मनन तुम्हारे।
विवस होकर भले ही रोता हूँ
'दरिया' बहती है नयन से तुम्हारे ।।
रामानुज 'दरिया'
होली की शुभकामनाएं।।
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