बोलते-बोलते चुप हो जाना तेरा
रुला गया इस क़दर जाना तेरा ।।

बुनकर बरषों रख्खा जिन रिस्तों को
मुश्किल हो गया था सम्भाल पाना तेरा ।।

निकलते मुख से ,सर आंखों पे ले लेना
अखर गया more fast हो जाना तेरा ।।

खुशी-खुशी सुनती हर बातों को तेरे
समय से करती काम रोज़ाना तेरा। ।।

ओ मिर्ची, पकोड़े और नमकीन
कड़वा लगा, मिलाकर खा जाना तेरा ।।

ज़नाज़ा निकलेगा दर्द का एक दिन
होगा खुशियों से,गले लग जाना तेरा ।।

महफूज़ थी तुम शर्मों हया के आंगन में
बुरा हुआ, दुपटटे का सर से गिराना तेरा ।।

चल रहा था सब कुछ अच्छा - अच्छा
खल गया हर बात में आँसुओं का बहाना तेरा।।

चढ़ती नहीं ये कच्ची शराब भी अब
जब तलक पीता नहीं आंखों का मैखाना तेरा ।।

कह मत देना, 'दरिया' किसी काम के नहीं
याद आएगा, मुड़कर हेलो हाय कर जाना तेरा।।

टूट गया था प्यार का तब्बसुम उस दिन
शुरू हुआ ,उसके साथ आना जाना तेरा ।।

सीख ले सबब मुहब्बत से जो कोई
मुश्कुरा के गम का छुपाना तेरा ।।

उड़ लो अभी उम्र है तुम्हारी भी
लौटोगी, जब लद जाएगा ज़माना तेरा ।।

रामानुज 'दरिया'

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