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Showing posts from April, 2019
लड़की नहीं, लड़कों की शान हो तुम।।
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खुशियों की खुशबू दर्द का चुभन गम सी जिंदगी,प्यारा अहसास हो तुम लड़की नहीं, लड़कों की शान हो तुम।। दर्द सह के प्रसन्न रहती भूखे रहके सबका पेट भरती दानी नहीं ,दानवीर का सम्मान हो तुम लड़की नहीं लड़को की शान हो तुम।। पूजा की थाली चाय की प्याली संस्कार की जाली विस्तर की गाली मोम सी मुलायम पत्थर की चट्टान हो तुम।। लड़की नहीं लड़को की शान हो तुम।। बचपन सुहाया चलना सिखाया अधरों का संगम कर बोलना बताया माँ नहीं ममता की अवतार हो तुम लड़की नहीं लड़को की शान हो तुम।। कंपकंपी सी ठंढ गर्मी का पसीना उदास पतझड़ बसन्ती महीना बदली नहीं बिन मौसम बरसात हो तुम लड़की नहीं लड़को की शान हो तुम।।
यादों के संग-संग ।।
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पुरानी बहुत बात है कहानी की दिल से शुरुआत है।। देखी थी मैंने एक तस्वीर चांद सी दिखती थी तारों की जागीर।। गज़ गामिन सी चाल थी ओठ गुलाबी सी लाल थी।। केशवों के भी अपने अंदाज़ थे दरिया की लहरों से आगाज़ थे।। पतली कमर बड़ी लचकदार थी गोया सावन झूले की पेंग हर बार थी।। वज़न जवानी का था बढ़ रहा सूंदर काया का रंग था चढ़ रहा।। कौमार्यता की खुमारी थी छायी मानो घटाओं ने सूरज को है छुपायी।। तन - बदन था महक रहा जिसे पाने को दिल था तरस रहा।। संदेह एक ही दिल में समायी थी चाँद धरा पे कैसे उतर आयी थी।। सफर जिंदगानी का यूं ही कटता नहीं हमसफर हो कोई, असर पड़ता नहीं।। नज़रे टिक गयी थी सूरत में जो बदल रही थी प्यारी मूरत में।। प्यार पटरी पर थी आ गयी सूरत दिल में थी समा गयी।। दिन में रूप का नज़ारा था रात में ख्वाबों का सहारा था।। मोहब्बत -ए-जिंदगी थी चलने लगी उनकी यादों में थी शाम ढलने लगी।। तभी वहां ज़हर भरी गाज़ एक आ गिरी टूट गये सपने सभी तार-तार हुयी जिंदगी।। महकती थी कलियां जिसके प्यार में सूख गयी धरती, पानी के अभाव में।। चाहा था मैंने जिसको टूट के अब टूट जाऊंगा उनस...
ख़्वाब मगरूर हो गया है।।
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जबरदस्त था हौंसला पतंग का पर डोर हाथ से छूट गया है।। अपराध बढ़ गए जो इश्क की गलियों में हुस्न इक-इक परिंदे को सूट कर गया है ।। घबराकर न छोड़ देना तुम साथ कभी अब टूट बेबसी का भी वज़ूद गया है ।। सज़ा हो जाती, किये हर खता की पर मिटा ओ सारे सबूत गया है ।। आंखें सितारे ढूढ़ती हैं पर ख़्वाब मगरूर हो गया है।। लिपट कर सोता है रात भर तकिया भी मज़बूर हो गया है।। देखता भी नहीं है पलट कर मुझे सुना है बहुत मशहूर हो गया है।। दिखती नहीं 'दरिया' में ओ रवानी सायद महीना मई जून हो गया है।। मत पूछो यौवन कितना जवान है छूकर देखो, रस से भरपूर हो गया है।। पूंछा था, आख़िर क्यों दिया धोखा कहती है,दुनिया का दस्तूर हो गया है।। लेकर जाते हैं फ़रियाद चौखट पर खुदा को, सब कहां मंजूर हो गया है।। मोहब्बत इतनी बदनाम हो गयी कि प्यार करना कसूर हो गया है।। प्यार में तुम घबराओ नहीं 'दरिया' उनकी बातें दिल का नासूर हो गया है।। चाहता कौन नहीं पाना मंज़िल यहाँ पर बेबसी में खटटा अंगूर हो गया है ।। परहेज़ किसे है मख़मली बिस्तर से नसीब में ही छांव, ख़जूर हो गया है ।। तरक्की का आ...