चमकती आंखों में जो उदासी है ।।

चमकती आंखों में जो उदासी है
टूटते सपने हैं या खुद की सघन तलाशी है।।

मैं संग्रह हूँ अपनी असफलताओं का
हर जुर्म मेरा है या किस्मत हालात की दासी है।।

भरी आंखों से,आंशु छलक ही जाते हैं
टीस दिल की है या जगह आंखों में जरा सी है।।
                                           रामानुज दरिया

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