असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

चमकती आंखों में जो उदासी है ।।

चमकती आंखों में जो उदासी है
टूटते सपने हैं या खुद की सघन तलाशी है।।

मैं संग्रह हूँ अपनी असफलताओं का
हर जुर्म मेरा है या किस्मत हालात की दासी है।।

भरी आंखों से,आंशु छलक ही जाते हैं
टीस दिल की है या जगह आंखों में जरा सी है।।
                                           रामानुज दरिया

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