ख़्वाब मगरूर हो गया है।।
- Get link
- X
- Other Apps
जबरदस्त था हौंसला पतंग का
पर डोर हाथ से छूट गया है।।
अपराध बढ़ गए जो इश्क की गलियों में
हुस्न इक-इक परिंदे को सूट कर गया है ।।
घबराकर न छोड़ देना तुम साथ कभी
अब टूट बेबसी का भी वज़ूद गया है ।।
सज़ा हो जाती, किये हर खता की
पर मिटा ओ सारे सबूत गया है ।।
आंखें सितारे ढूढ़ती हैं
पर ख़्वाब मगरूर हो गया है।।
लिपट कर सोता है रात भर
तकिया भी मज़बूर हो गया है।।
देखता भी नहीं है पलट कर मुझे
सुना है बहुत मशहूर हो गया है।।
दिखती नहीं 'दरिया' में ओ रवानी
सायद महीना मई जून हो गया है।।
मत पूछो यौवन कितना जवान है
छूकर देखो, रस से भरपूर हो गया है।।
पूंछा था, आख़िर क्यों दिया धोखा
कहती है,दुनिया का दस्तूर हो गया है।।
लेकर जाते हैं फ़रियाद चौखट पर
खुदा को, सब कहां मंजूर हो गया है।।
मोहब्बत इतनी बदनाम हो गयी
कि प्यार करना कसूर हो गया है।।
प्यार में तुम घबराओ नहीं 'दरिया'
उनकी बातें दिल का नासूर हो गया है।।
चाहता कौन नहीं पाना मंज़िल यहाँ
पर बेबसी में खटटा अंगूर हो गया है ।।
परहेज़ किसे है मख़मली बिस्तर से
नसीब में ही छांव, ख़जूर हो गया है ।।
तरक्की का आईना दिखे न दिखे
गरीब सड़क पर जरूर हो गया है ।।
रामानुज 'दरिया'
पर डोर हाथ से छूट गया है।।
अपराध बढ़ गए जो इश्क की गलियों में
हुस्न इक-इक परिंदे को सूट कर गया है ।।
घबराकर न छोड़ देना तुम साथ कभी
अब टूट बेबसी का भी वज़ूद गया है ।।
सज़ा हो जाती, किये हर खता की
पर मिटा ओ सारे सबूत गया है ।।
आंखें सितारे ढूढ़ती हैं
पर ख़्वाब मगरूर हो गया है।।
लिपट कर सोता है रात भर
तकिया भी मज़बूर हो गया है।।
देखता भी नहीं है पलट कर मुझे
सुना है बहुत मशहूर हो गया है।।
दिखती नहीं 'दरिया' में ओ रवानी
सायद महीना मई जून हो गया है।।
मत पूछो यौवन कितना जवान है
छूकर देखो, रस से भरपूर हो गया है।।
पूंछा था, आख़िर क्यों दिया धोखा
कहती है,दुनिया का दस्तूर हो गया है।।
लेकर जाते हैं फ़रियाद चौखट पर
खुदा को, सब कहां मंजूर हो गया है।।
मोहब्बत इतनी बदनाम हो गयी
कि प्यार करना कसूर हो गया है।।
प्यार में तुम घबराओ नहीं 'दरिया'
उनकी बातें दिल का नासूर हो गया है।।
चाहता कौन नहीं पाना मंज़िल यहाँ
पर बेबसी में खटटा अंगूर हो गया है ।।
परहेज़ किसे है मख़मली बिस्तर से
नसीब में ही छांव, ख़जूर हो गया है ।।
तरक्की का आईना दिखे न दिखे
गरीब सड़क पर जरूर हो गया है ।।
रामानुज 'दरिया'
- Get link
- X
- Other Apps
Popular posts from this blog
किसी का टाइम पास मत बना देना।
बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।
तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।
जो अमृत है ओ ज़हर कैसे हो तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो। ख़्वाबों के अपने सलीक़े अलग हैं उजालों में इनका असर कैसे हो। इंसानियत प्रकृति की गोद में हो वहां कुदरत का कहर कैसे हो। घरों की पहचान बाप के नाम से हो वह जगह कोई शहर कैसे हो। पीने के योग्य भी न रह गया हो वह जल स्रोत कोई नहर कैसे हो। खुदगर्ज़ी की बांध से जो बंध गया हो उस सागर में फिर कोई लहर कैसे हो। ढल गया हो दिन हवस की दौड़ में फिर उसमें सांझ या दो पहर कैसे हो।
उनका भी इक ख्वाब हैं।
उनका भी इक ख्वाब हैं ख्वाब कोई देखूं मैं उनसे उन्ही की तरह लच्छेदार बात फेकूं मैं। टिकाया है जिस तरह सर और के कंधे पर चाहती है सर अपना किसी और कांधे टेकूं मैं। शौक था नये नजारों का यूँ तो सदा ही देखि ओ चाहत है उसकी कि कहीं और नयन सेकूं मैं। दिल से उसे निकाल कर बचा हूँ कितना खुद में वक्त मिले गर खुदा, तो खुद को खुद से देखूं मैं। समझदारी प्यार को भी व्यापार बनाती है प्रेम मिले भी अगर शिशु की भांति देखूं मैं। बेशक़ तेरे चाहने वालों की भीड़ बहुत भारी है गर दिल से उतर गयी तो लानत है मेरे व्यक्तित्व पर जो इक बार पलट कर देखूं मैं।

Comments