असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

इक - इक पल बरस सा लगता है।।

इक - इक पल बरस सा लगता है
देख कर मुझे तरस सा लगता है।

खो चुका हूँ मैं ख़ुद वज़ूद अपना
अपना ही जीवन नरक सा लगता है।

मैं   रोज़   खुद   को   मारता हूँ
मेरा ज़िस्म मुझे पारस सा लगता है।

तुमसे मिलकर, न कोई ख्वाइस बची
बदन तेरा मुझे चरस सा लगता है।

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