आज से खत्म ये लड़ाई हुई है
दोस्तों से शुरू ये जुदाई हुई है।
कौन याद रखता है अतीत की कहानी
उगते सूरज की करते हैं सब तो सलामी।
कल तक जो हम सब बिछड़ जायेंगे
बसी आंखों में नमी न छुपा पायेंगे।
टूटकर इस कदर हम बिखर जायेंगे
चाह कर भी न हम मिल पायेंगे।
यादों का दिल में ऐसा कारवां चलेगा
मिलन कि आरज़ू लेकर ये दिन भी बढ़ेगा।
ढल जायेगा दिन रात की आग़ोश में
सिमट जायेगी जिंदगी मिलन की जोश में।
मंजिलें तरक्की तो मिल ही जायेंगी
अरमानों के पंछी तो उड़ ही जायेंगे।
मिल न पायेंगी ओ बातें पुरानी
नये वर्ष की ओ पंखुड़ी निशानी।
बोतल घुमाके दिल - ए - राज़ सुनाना
क्लास में ओ चिड़िया -सुग्गा उड़ाना।
कालेजामों में ओ मिठास न होगी
दोस्ती तो होगी पर बेमिशाल न होगी।
मेरे दोस्तों इतना ख्याल रखना
मुस्कुरा के अपना दिल-ए-हाल कहना ।
दूर ये सारे गम हो जायेंगे
ख्यालों में ही गर मिल जायेंगे।
रामानुज 'दरिया'
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