असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

Happy Mother's day.माँ मैं तुझे कैसे भूल जाऊं।।

कभी - कभी मैं सोंचता हूँ
उस पंखे से झूल जांऊ
जिंदगी हमेशा रुलाती है
इसे गहरी नींद में सुला जाऊं।।

पर माँ तेरी याद आ जाती है
पल भर में मेरी सोंच बदल जाती है
मैं सारे गम खुशी से पी जाऊं
पर माँ मैं तुझे कैसे भूल जाऊं।।

कभी - कभी मैं सोंचता हूँ
एक प्याला जहर का लगाऊं
नफ़रत - ए - जमाना हो गया
अब मैं मौन हो जाऊं।।

याद आ जाता है माँ का ओ तराना
टूट जाना पर किसी का दिल न दुखाना
तेरी मीठी यादों संग गोदी में सो जाऊं
माँ मैं तुझे कैसे भूल जाऊं ।।

कभी - कभी मैं सोंचता हूँ
रेलवे ट्रैक का शिकार हो जाऊं
जिंदगी को ऐसी रफ्तार दूँ
खुद को न कभी रोंक पाऊं।।

उंगली के सहारे चलना सिखाया
गम में भी हंसना सिखाया
आंचल में खुशियों के फूल बरसाऊं
माँ मैं तुझे कैसे भूल जाऊं।।

दिल को मन से जोड़ जाऊं
खुद को फौलादी  कर जाऊं
आत्महत्या सोंचना भी अपराध है
यह संदेशा मैं घर -घर भिजवाऊं
माँ मैं तुझे कैसे भूल जाऊं।।
रामानुज 'दरिया'

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