गर इंशान अपनी किस्मत खुद लिखता
कौन जिंदगी में इतनी मुसीबत लिखता।।

बताओ, यदि खूबसूरती पर्दे में दिखती
फिर ये हुस्न बेपर्दा क्यूं दिखता।।

सर्प चंदन को विषैला नहीं कर सकता
फिर इक बूंद नीबू से क्यूं दूध फटता।।

कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है
गधा क्यूं जंगल का राजा नहीं बनता।।

हर रूप में पूज्नीय जब नारी है
कूचे में क्यूं घात लगाये शिकारी है।।

जब भ्र्ष्टाचार पसंद नहीं होता
फिर क्यूं भ्र्ष्टाचार बंद नहीं होता।।

जब मुस्कान चेहरे की रौनक बढ़ती है
फिर क्यूं उदासी सूरत पर चढ़ आती है।।

जब रोशनी जग का अंधेरा मिटाती है
फिर हर बार क्यूं ये काली रात आती है।।

                           रामानुज दरिया

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