आख़िर बात क्या है पापा हमें कुछ बताते क्यूं नहीं हो। Happy Father's Day
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हरदम -हरदम कहते हो
पर आते कभी नहीं हो
आख़िर बात क्या है पापा
हमें कुछ बताते क्यूं नहीं हो।
जब देखो तब रोती रहती हैं
बैठ कर कहीं किसी कोने में
इतना क्यूं रूठे हो पापा
चुप मम्मी को कराते क्यूं नहीं हो।
डांटती भी नहीं है
गलती पर मारती भी नहीं है
अब आप चले आओ पापा
मम्मी पास सुलाती भी नहीं हैं।
बाबू का बैग फट गया है
मेरी चप्पल भी टूट गयी है
अब हम स्कूल जाते नहीं पापा
इस हाल से उबारते क्यूं नहीं हो।
पर आते कभी नहीं हो
आख़िर बात क्या है पापा
हमें कुछ बताते क्यूं नहीं हो।
जब देखो तब रोती रहती हैं
बैठ कर कहीं किसी कोने में
इतना क्यूं रूठे हो पापा
चुप मम्मी को कराते क्यूं नहीं हो।
डांटती भी नहीं है
गलती पर मारती भी नहीं है
अब आप चले आओ पापा
मम्मी पास सुलाती भी नहीं हैं।
बाबू का बैग फट गया है
मेरी चप्पल भी टूट गयी है
अब हम स्कूल जाते नहीं पापा
इस हाल से उबारते क्यूं नहीं हो।
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किसी का टाइम पास मत बना देना।
बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।
तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।
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उनका भी इक ख्वाब हैं।
उनका भी इक ख्वाब हैं ख्वाब कोई देखूं मैं उनसे उन्ही की तरह लच्छेदार बात फेकूं मैं। टिकाया है जिस तरह सर और के कंधे पर चाहती है सर अपना किसी और कांधे टेकूं मैं। शौक था नये नजारों का यूँ तो सदा ही देखि ओ चाहत है उसकी कि कहीं और नयन सेकूं मैं। दिल से उसे निकाल कर बचा हूँ कितना खुद में वक्त मिले गर खुदा, तो खुद को खुद से देखूं मैं। समझदारी प्यार को भी व्यापार बनाती है प्रेम मिले भी अगर शिशु की भांति देखूं मैं। बेशक़ तेरे चाहने वालों की भीड़ बहुत भारी है गर दिल से उतर गयी तो लानत है मेरे व्यक्तित्व पर जो इक बार पलट कर देखूं मैं।

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