असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

वक्त और मैं।

वक्त और मैं कभी साथ न चल सका
खेर और बेर कभी साथ न पल सका।

जब वक्त था तो मैं नहीं
अब मैं हूँ पर वक्त नहीं।

मंजिल दिखी तो रास्ता न मिला
रास्ता दिखा तो मंजिल न मिली।

चलना चाहा तो पांव न मिले
पांव मिले तो चल न सका ।

जिससे हाथ मिला उससे दिल न मिला
जिससे दिल मिला उससे हाथ न मिला।

जिसे पलकों पे बिठाया उसने कभी समझा नहीं
जिसने समझा उसको कभी बिठा न सका।

जब उम्र थी तब पायल नहीं
अब पायल है पर उम्र नहीं।

सजना थे तब सज न सके
अब सजे तो सजना नहीं।

जब नयन मिले तब काजल नहीं
अब काजल है तो नयन नहीं।

चमन थी तब बहार न आयी
अब बहार आयी तो चमन नहीं।

जब संग थी पत्नी तो सेज़ नहीं
अब सेज़ है पर संग पत्नी नहीं।

जिसका मैं हुआ ओ कभी मेरा नहीं
जो मेरा हुआ उसका कभी में नहीं।

शौक दुपट्टे का था तो जोबन नहीं
अब जोबन है पर दुपट्टा नहीं।

ओ आयी मिलने तब तक मैं पहुंचा नहीं
पहुंचा भी मैं तब तक ।ओ चली गयी।

जब भूख थी तब निवाला नहीं
अब निवाला है पर भूख नहीं।

जिंदगी थी तब कोई तारीफ़ नहीं
अब तारीफ़ है पर जिंदगी नहीं।



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