कर नहीं पाता सार्थक
एक भी काम हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ
सुरुआत बेहतर करता हूँ
कि कुछ बेहतर हो जाये
पर दिमाग के साथ ही
करने लगता आराम हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।
जिंदगी भी पेपर हो गयी
निकलते काम ही फाड़कर
देता डाल कूड़ेदान हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।
बीएससी फिर एमएससी
मए फिर आई टी आई
शौकीन की पढ़ाई से
लगाया डिग्रीयों का जाम हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ
लगा दो दांव पर
मोहब्बत-ए-जिंदगी अपनी
छुड़ा कर हाथ महबूबा
शिश्कते हुये कहती है
चलूं तेरे साथ कैसे
अपने घर का सम्मान हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।
रो रो के कहती है ओ जब
चले भी आओ न घर अब
सोंचता हूँ कि अब चला जाऊं
पर अपने मालिक का गुलाम हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।
रामानुज 'दरिया'
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