असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जी चाहता है, जी भर के देखूं उसे।

बेशुध    हवा  को   बवंडर   बना  देना
हो सके ,  'दरिया'  समंदर  बना  देना।

भ्रस्ट  रोग   ने    खोखला    कर दिया
हो सके, फौलादी  अंदर   से बना देना।

जी  चाहता है, जी   भर  के  देखूं उसे
हो सके, मूरत  मेरे  अंदर  बना   देना।

मेरी  रूह  का  खज़ाना  बस  वही  है
हो सके, सौ  ताले  के अंदर छुपा देना।

लग जाये न कहीं उसको नजर भी मेरी
हो सके, माथे  पे टीका सुंदर लगा देना।

जब  वक्त  तेरा हो, ध्यान से सुनो दरिया
हो सके,किनारों को भी अंदर समा लेना।

चाह  कर  भी नहीं रोंक पाता हूँ खुद को
हो सके,मोहब्बत-ए-तरफ़ा का अंतर बता देना।

जख़्मी दिल, किसी का नही होता 'दरिया'
हो सके, सहारा  देकर  अंदर  बुला लेना।



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