असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मेरे पास चली आना।

तुम  धन   से  न  सही
और  तन  से  न  सही
मन   से   चली  आना
कभी  दिल  धड़के तो
मेरे  पास  चली आना।

एक    दिन    न    सही,
एक     रात    न    सही
बस  दो  पल   के  लिए
मेरे  पास  चली  आना।

अंदर  चलता  द्वंद  मिले
दरवाज़ा  भी  बंद  मिले
खिड़की  के   ही  सहारे
मेरे  पास   चली  आना।

ऊब  जाना  रिश्तों  से  तुम
छोड़  घरबार  चली  आना
इंतजार   रहेगा    ता    उम्र
बस  इक  बार चली आना।

सुखों   की   जरूरत   हो
बेशक   तुम   मत   आना
खुशियों  की  जरूरत  हो
मेरे   पास   चली   आना।

अरसे      बीत     गए
तुझसे   मिले        हुये
पटाका बन दीवाली में
इस  बार   चली   आना।
               'दरिया'



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