असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

हिंसाब होकर रहेगा।

उठी है कलम तो,
हिंसाब होकर रहेगा।
मिलेगी सुरक्षा वर्दी को
साथ वकीलों के ,
न्याय होकर रहेगा।
चीखता रहे जनमानस
भले ही ऑक्सीजन खातिर
प्रदूषण प्रकृति के साथ
अब पूर्णतयः होकर रहेगा।
लाल किले से दहाड़ने वाला शेर
भले ही मौन हो जाये,
बदली बन प्रदुषण धरा पे छा जाए
अंगारें उठती रहें,
भले ही वकीलों के हाहाकार से
भले दिल्ली वाला मफ़लर
गले मे ठिठुर कर रह जाये
लेकिन उठी है कलम तो,
हिसाब होकर रहेगा।
'दरिया'

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