चली गयी।


तू आकर ऐसे चली गयी
जिंदगी फिर से छली गयी

तड़पते जिस्म से जैसे
आज आत्मा चली गयी

सौदा इश्क का किया उसने
बाजार-ए-हुस्न में चली गयी

वजूद खुद का मिटाकर
दरिया नाल-ए- नदी गयी।

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