बचा कौन उम्र-ए-दौर गुलाबी गालों से।


 मैं उबर न पाया कभी उसके ख्यालों से

उलझी रही उम्र भर अपने सवालों से।


खूबसूरत था चंद दिनों का जो सफर 

परेशान रहा चाह पाने की मलालों से।


बताया था "दरिया" प्यार में मत पड़ना

बचा कौन उम्र-ए-दौर गुलाबी गालों से।


एक तरफा मोहब्बत कभी रास न आयी

बिन हवा के न घटा छायी उन बालों से।



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