असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मेरे गांव को तूने शहर कर दिया।


 रिश्तों  में  कैसा  जहर  भर  दिया

मेरे  गांव  को  तूने शहर कर दिया


चाँद - ए - दीदार  को मैं आतुर था

वक्त  ने  फिर से दोपहर कर दिया।


पसीने  छूट  रहे  हैं  बदल  के भी

जुल्फों  ने  ऐसा  कहर  कर दिया।


आँवांरगी  का  मज़ा  ही  अलग  है

ख़्वावों ने रेत का शहर कर दिया।


सरफिरे  शायरों  का  रहमों  करम है

जो गुलाबी ओंठ को नहर कर दिया।


रोंक  क्या  सकेंगी ज़माने की बंदिशें

भले  पहरा  सातों  पहर  कर  दिया।





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