असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

गीत। तेरी यादें धीरे - धीरे ।

 


दफ़न   हो    रही    है
तेरी यादें  धीरे - धीरे ।

खोता   जा   रहा   हूँ 
खुदी  को  धीरे - धीरे।

बदलती   जा   रही  है
मेरी  सनम  धीरे - धीरे।

बह  रहे   हैं  नयन  से
ये अश्क  धीरे -  धीरे।

जा  रही  है आंखों  से
चमक   धीरे  -  धीरे।

जिस्म  जां से हो रही
जुदा   धीरे  -   धीरे ।

नजरों  से  उतर रही है
ओ  नजर  धीरे - धीरे ।





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