किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

तो कोई बात हो।


में पुकारूं आपको ओर
आप मिलने चले आओ
         तो कोई बात हो।
अधूरे ख्वाब में भी गर
आप मुक्कमल हो जाओ
         तो कोई बात हो।
 सूखी दरिया में दो बूंद
प्यार के डाल जाओ
          तो कोई बात हो।
बेचैन बाहों को भी
कभी पनाह दिलाओ
          तो कोई बात हो।
सिसकती आंखों को भी
कभी इक झलक दिखाओ
          तो कोई बात हो।
जिस्म को चाह कर भी
तुम रूह में उतर जाओ
          तो कोई बात हो।
जवानी का बूढ़ा खत हूँ मैं
तुम पढ़ के मुस्कुराओ
           तो कोई बात हो।
भागता फिरता हूँ तेरे पीछे
कभी तुम भी मुड़ जाओ
            तो कोई बात हो।


 

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