असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

गर देखना ही है तो अपने आप को देखिये।


 

दुखती   हथेलियों   से   जिंदगी  के   ताप  देखिये

गर   देखना  ही  है  तो  अपने  आप  को  देखिये।


कोई  आयेगा  नहीं  हिस्से  का   अंधेरा   मिटाने

उठाइये  चरागों  को  और  उसका  ताप  देखिये।


ज़रूरत  नहीं  किसी  के  पैरों  में  गिड़गिड़ाने की

उठाइये कदम और मंज़िल तक की नाप देखिये।


ये  दुनिया  तुम्हें  हंसीन सपनों जैसी दिखायी देगी

बस  एक  बार  बदलकर खुद अपने आप देखिये।


इस   दौर  में  गली  गली  नुमाइशें करती फिरती है

यकीं  नहीं  होता,  आप  द्रोपदी  का  श्राप देखिये।


असुरों  के  संगत  में  बनकर  देवता  रह सकते हो

बस  दृढ़  संकल्प  के  साथ  ध्रुव  का  जाप देखिये।


गधे  और   घोड़े  में  फ़र्क  दिख  जायेगा  तुम्हें  भी

उतारिये    रेस    में    फिर   उनका   टॉप   देखिये।


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