दवा को दावे के साथ औरपानी का पाचन करा सकता है
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
सुबह चुम्बन के साथ आंखें खोलकर
रात को मीठी यादों संग सुला सकता है
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
मन की भूख को चेहरे के प्रताप से
तन की , आंखों से सांत करा सकता है।
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
जिंदगी की इस बेजोड़ ठिठुरन में भी
गर्म कम्बल का अहसास करा सकता है
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
पलकों से आँशुओँ के मोती चुराकर
चेहरे पर प्यारी मुस्कान ला सकता है।
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
मेरी आदतों को अपना गहना बनाकर
अपने सांसों के तन को सजा सकता है
कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है।
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