इस  क़दर  भी  न   सताया  करो।


 

पास  आकर  न  दूर  जाया  करो
इस  क़दर  भी  न   सताया  करो।

ख़्वाबों   के    दरमियां   फासले  हैं
न  ख्वाबों  से  तुम  घबराया  करो।

जिंदगी की  असली  कमाई  तुम हो
मेरी  कमाई  से न मुकर जाया करो।

दिल  दे  दिये  हो तो भरोसा रख्खो
हर  जगह  न  हाथ आजमाया करो।

गम-ए-जिंदगी  जीना तो आसां नहीं
मग़र थोड़ी थोड़ी तो सुलझाया करो

सभी को आईने दिखाना जरूरी नहीं
गिरेबां में अपने भी झांक जाया करो।

गर हो गया हूँ रुस्वा तो थोड़ा ध्यान दो
कभी कभार तो हमें भी मनाया करो।

बेसक नहायी हो तुम नीली झील में
वक्त रहते केशुओं को सुखाया करो।

सवांरती फिरती हो जिन ज़ुल्फों को
उन जुल्फों में न हमें उलझाया करो।

ये  इबादत के दिन  हैं तो सुनो दरिया
खुदा  की रहमतों में मुस्कुराया करो।

अपनी आदतों से क्यूं बाज नहीं आती
मु आंख तुम इतना न मटकाया करो।

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