नाम उसका फरिश्तों में आ जाये।


ओ शरारतें, शैतानियां और लड़कपन
जी करता हम पुराने रिस्तों में आ जायें।

ताकना, झांकना, एक दूजे को डांटना
भले खुशियां हमारी किस्तों में आ जायें।

कोई शख़्स ऐसा जो मिला दे फिर से हमे
यकीनन नाम उसका फरिश्तों में आ जाये।

चुन लें कुछ फूल हम भी पुराने लम्हों से
फिर तो नाम हमारा मौला-मस्तों में आ जाये।

मिल जाऊँ उसे आज भी आसानी से
गर नाम मेरा बड़े सस्तों में आ  जाये।

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