किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

जब से 'जान' तेरा जाना हुआ।


जिस्म-ए-जान बेगाना हुआ।
जब से 'जान' तेरा जाना हुआ

चीख पड़े तकिया बिस्तर भी
जब से 'जान' तेरा जाना हुआ

छुप - छुप के रोती है छोटी भी
बड़ी का गायब मुस्कुराना हुआ

आंगन में मां सिसकती रही
बाप का गायब तराना हुआ।

चेहरा भाई की भी हवाई हुआ
अश्क-ए-पलक जमाना हुआ।

कली गली की भी सूख गयी
उजड़ा चमन स घराना हुआ।

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