रहमोकरम से टहनियां साख हो गयीं।।



जो बुलंदियां थी अब राख हो गयीं
रहमोकरम से टहनियां साख हो गयीं।

फ़रेब मक्कारी के आंगन में पहुँचा ही था
चमक से चौन्धियायी मेरी आंख हो गयी।।

                        रामानुज "दरिया"


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