असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

रहमोकरम से टहनियां साख हो गयीं।।



जो बुलंदियां थी अब राख हो गयीं
रहमोकरम से टहनियां साख हो गयीं।

फ़रेब मक्कारी के आंगन में पहुँचा ही था
चमक से चौन्धियायी मेरी आंख हो गयी।।

                        रामानुज "दरिया"


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