असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

Image
असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मुक़म्मल जिंदगी है जितनी।।

क्या रह गयी थी कुछ चालें
ये गम मेरे साथ चलने की।

जो कहर बन के बरसी हो
तन की सांसें झटकने की।

फ़िराक  में   रहती   है   तू
मेरा हर ख्वाब चटकने की।

बचा  ही  क्या   है  मेरे पास
सिवा दिमाग के सटकने की।

पूरी कर ले तू हर ज़िद अपनी
मुक्कमल  जिंदगी है जितनी।

क्या  पता  आ  जाये  सूरज
कब  बादल   की  चपेट  में।

और रोशनी भी चढ़ जाये
अंधेरों    की    भेंट    में।

Comments

Popular posts from this blog

किसी का टाइम पास मत बना देना।

तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।

उनका भी इक ख्वाब हैं।