असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जिंदगी।।

मेरे साथ जिंदगी ने कई खेल खेले हैं
कहीं समय तो कहीं बेबसी के दर्द झेले हैं
नूर ही आंखों के नासूर हो गये
हमने बदलते रिश्तों के दंश झेले हैं।।

हम बेगुनाही का। सुबूत देते रहे
और ओ गुनहगार सिद्ध करते रहे
सबकी निगाहों में गिरा कर हमें
अपनी कुशल वकालत का परिचय देते रहे।।

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