जिंदगी।।

मेरे साथ जिंदगी ने कई खेल खेले हैं
कहीं समय तो कहीं बेबसी के दर्द झेले हैं
नूर ही आंखों के नासूर हो गये
हमने बदलते रिश्तों के दंश झेले हैं।।

हम बेगुनाही का। सुबूत देते रहे
और ओ गुनहगार सिद्ध करते रहे
सबकी निगाहों में गिरा कर हमें
अपनी कुशल वकालत का परिचय देते रहे।।

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