हंसी भी छीन ली
ख़ुशी भी छीन ली
सातिर थी जिंदगी इतनी
चेहरे से लसी भी छीन ली।।

तस्वीर भी छीन ली
तक़दीर भी छीन ली
ज़ालिम थी जिंदगी अपनी
हाथों से लकीर भी छीन ली।।

रामानुज 'दरिया'


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