असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

आखिर दूरियां इतनी क्यूं बरकरार हैं।

आखिर दूरियां इतनी क्यूं बरकरार हैं
दिन की ख़ुशी है या
रातें बेबसी का शिकार हैं।

आज ये 'दरिया' दिवाना स क्यूं लगता है
नए गम का आगाज़ है या
चढ़ा प्रेम का बुखार है।

खोया खोया से क्यूं आज़ ये चाँद है
लुका-छिपी बादलों से है या
दूजा चाँद सर पे सवार है।

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