असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

कुछ इस कदर हमने मोहब्बत का हिसाब लिख दी।

तेरे खुलते अधरों पे गीत
बंद अधरों पे प्रीत लिख दी
बताऊँ क्या तुझे मैं सनम
हारकर तुझे तेरी जीत लिख दी।

तेरी खुली जुल्फों का बादल
मटकते नयन की काज़ल लिख दी
तेरी इक इक भंगिमाओं पर
होते हृदय को पागल लिख दी।

इक - इक शब्द पर तेरे
हमने इक - इक किताब लिख दी
कुछ इस कदर हमने
मोहब्बत का हिसाब लिख दी।

तेरी हिरनी की चाल उस पर
गाल छूने का मलाल लिख दी
मिलती नजरों पर होते
अपने ख्यालों को हलाल लिख दी।

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