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Showing posts from October, 2019
बस यही हर बार पूंछती थी।
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बस यही हर बार पूंछती थी जो लिखते हो कहानी किसकी है। करते मुहब्बत मुझसे हो फिर अंगूठी निशानी किसकी है। दवा भी तुम दुआ भी तुम फिर छटपटाती जवानी किसकी है। याद नहीं करते हो फिर फ़िज़ा में रवानी किसकी है। अब मीडिया भी अपने हाथ में है हस्ती बनानी, मिटानी किसकी है। बजबजाती नालियों से जान लो गाँव में प्रधानी किसकी है।
मेरे पास चली आना।
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तुम धन से न सही और तन से न सही मन से चली आना कभी दिल धड़के तो मेरे पास चली आना। एक दिन न सही, एक रात न सही बस दो पल के लिए मेरे पास चली आना। अंदर चलता द्वंद मिले दरवाज़ा भी बंद मिले खिड़की के ही सहारे मेरे पास चली आना। ऊब जाना रिश्तों से तुम छोड़ घरबार चली आना इंतजार रहेगा ता उम्र बस इक बार चली आना। सुखों की जरूरत हो बेशक तुम मत आना खुशियों की जरूरत हो मेरे पास चली आना। अरसे बीत गए तुझसे...
जी चाहता है, जी भर के देखूं उसे।
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बेशुध हवा को बवंडर बना देना हो सके , 'दरिया' समंदर बना देना। भ्रस्ट रोग ने खोखला कर दिया हो सके, फौलादी अंदर से बना देना। जी चाहता है, जी भर के देखूं उसे हो सके, मूरत मेरे अंदर बना देना। मेरी रूह का खज़ाना बस वही है हो सके, सौ ताले के अंदर छुपा देना। लग जाये न कहीं उसको नजर भी मेरी हो सके, माथे पे टीका सुंदर लगा देना। जब वक्त तेरा हो, ध्यान से सुनो दरिया हो सके,किनारों को भी अंदर समा लेना। चाह कर भी नहीं रोंक पाता हूँ खुद को हो सके,मोहब्बत-ए-तरफ़ा का अंतर बता देना। जख़्मी दिल, किसी का नही होता 'दरिया' हो सके, सहारा देकर अंदर बुला लेना।
हम उस देश के वासी हैं।
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जहां पेशाब करना मना है वहीं करते मूत्र निकासी हैं हम उस देश के वासी हैं। गरीबी से तड़पता बचपन जहां चुपड़ के मिलती रोटी बासी है हम उस देश के वासी हैं। खिलाफ़ भ्र्ष्टाचार के आंदोलन होता लिप्त अधिकारी और चपरासी हैं हम उस देश के वासी हैं। कट्टा दौलत पर राजनीति टिकी शामिल भै या बबुआ चाची हैं हम उस देश के वासी हैं। नशेड़ी 'कबीर खान' तांडव करती सुपर 30 जैसी फ्लॉप हो जाती है हम उस देश...