असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

बस यही हर बार पूंछती थी।

बस  यही  हर  बार  पूंछती  थी
जो लिखते हो कहानी किसकी है।

करते  मुहब्बत  मुझसे  हो  फिर
अंगूठी    निशानी  किसकी     है।

दवा  भी  तुम दुआ भी तुम फिर
छटपटाती    जवानी  किसकी  है।

याद   नहीं   करते     हो   फिर
फ़िज़ा   में  रवानी  किसकी   है।

अब मीडिया भी अपने हाथ में है
हस्ती बनानी, मिटानी किसकी है।

बजबजाती नालियों से जान लो
गाँव    में  प्रधानी   किसकी   है।






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