असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मैं मरहम हूं रिश्तों का।

छोड़  दे  तरासना  ये  वक्त  मुझे,
मैं   मूरत   नहीं   बन  सकता।
ठोकरें  कितनी  भी  दे  दे  मुझे,
मैं चाहतों की सूरत नही बन सकता।
मैं   मरहम   हूँ   रिश्तों   का
दर्द-ए-घाव नहीं बन सकता।
तू वर्तमान तो कभी अतीत बन सकता है
पर  मैं  मीठा " दरिया" हूँ   'ये वक्त'
कभी खारा समन्दर नहीं बन सकता।
     "  दरिया "

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