Happy Rose Day
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Happy Rose Day
बसंत ही तो लगा था जब हम मिले थे गोण्डा के उस पावन स्थल पर जिसे हम नूरामल मंदिर के नाम से जानते हैं, ऐसे ही हवाएं गुन गुनाती थी चिड़ियाँ कलरव करके मन को मोह रही थी। हो भी क्यों न पहली बार किसी ने उंगलियों को इस कदर स्पर्श किया था, छूने और पकड़ने को तो हजारों ने पकड़ा होगा लेकिन उसके स्पर्श का अहसास किसी और में न हुआ था। यह सच है कि यदि हम कुछ गलत करने लगते हैं तो हमारे हाथ पावँ फूलने लगते हैं पर इसको भी नकारा नहीं जा सकता है कि अच्छे काम की सुरुवात में भी हालात कुछ ऐसे ही होते हैं।
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उसने फोन करके अचानक बताया था कि मात्र 10 मिनट का समय है तुम्हारे पास क्योंकि मैं घर से निकल चुकी हूँ मन्दिर के लिए और मैं कैम्पस में बिना साधन के घूम रहा था। था तो मेरे लिए चुनौती का ही विषय पर मेरा परम् मित्र मुझे दिख गया था और मैने अपने वज़न को ताक पर रख कर उससे गाड़ी मांग ली थी। दोस्त था लेकिन कमीना वाला अच्छा दोस्त था जो बिना किसी सवाल जबाब के गाड़ी दे दी थी।
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मैं जैसे तैसे तो वहां पहुंच गया था लेकिन अंदर का दृस्य था जो मैं बस देखता ही रह गया। बसंत की पानी से भरी खुसबू की बाल्टी से नहा के निकली हो कुछ ऐसा उसका चेहरा चमक रहा था। मैं पहली बार पूर्णतयः छला गया था। मैंने उसको देखा और देखता ही रह गया..................................💐💐💐💐💐
बसंत ही तो लगा था जब हम मिले थे गोण्डा के उस पावन स्थल पर जिसे हम नूरामल मंदिर के नाम से जानते हैं, ऐसे ही हवाएं गुन गुनाती थी चिड़ियाँ कलरव करके मन को मोह रही थी। हो भी क्यों न पहली बार किसी ने उंगलियों को इस कदर स्पर्श किया था, छूने और पकड़ने को तो हजारों ने पकड़ा होगा लेकिन उसके स्पर्श का अहसास किसी और में न हुआ था। यह सच है कि यदि हम कुछ गलत करने लगते हैं तो हमारे हाथ पावँ फूलने लगते हैं पर इसको भी नकारा नहीं जा सकता है कि अच्छे काम की सुरुवात में भी हालात कुछ ऐसे ही होते हैं।
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उसने फोन करके अचानक बताया था कि मात्र 10 मिनट का समय है तुम्हारे पास क्योंकि मैं घर से निकल चुकी हूँ मन्दिर के लिए और मैं कैम्पस में बिना साधन के घूम रहा था। था तो मेरे लिए चुनौती का ही विषय पर मेरा परम् मित्र मुझे दिख गया था और मैने अपने वज़न को ताक पर रख कर उससे गाड़ी मांग ली थी। दोस्त था लेकिन कमीना वाला अच्छा दोस्त था जो बिना किसी सवाल जबाब के गाड़ी दे दी थी।
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मैं जैसे तैसे तो वहां पहुंच गया था लेकिन अंदर का दृस्य था जो मैं बस देखता ही रह गया। बसंत की पानी से भरी खुसबू की बाल्टी से नहा के निकली हो कुछ ऐसा उसका चेहरा चमक रहा था। मैं पहली बार पूर्णतयः छला गया था। मैंने उसको देखा और देखता ही रह गया..................................💐💐💐💐💐
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किसी का टाइम पास मत बना देना।
बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।
तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।
जो अमृत है ओ ज़हर कैसे हो तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो। ख़्वाबों के अपने सलीक़े अलग हैं उजालों में इनका असर कैसे हो। इंसानियत प्रकृति की गोद में हो वहां कुदरत का कहर कैसे हो। घरों की पहचान बाप के नाम से हो वह जगह कोई शहर कैसे हो। पीने के योग्य भी न रह गया हो वह जल स्रोत कोई नहर कैसे हो। खुदगर्ज़ी की बांध से जो बंध गया हो उस सागर में फिर कोई लहर कैसे हो। ढल गया हो दिन हवस की दौड़ में फिर उसमें सांझ या दो पहर कैसे हो।
उनका भी इक ख्वाब हैं।
उनका भी इक ख्वाब हैं ख्वाब कोई देखूं मैं उनसे उन्ही की तरह लच्छेदार बात फेकूं मैं। टिकाया है जिस तरह सर और के कंधे पर चाहती है सर अपना किसी और कांधे टेकूं मैं। शौक था नये नजारों का यूँ तो सदा ही देखि ओ चाहत है उसकी कि कहीं और नयन सेकूं मैं। दिल से उसे निकाल कर बचा हूँ कितना खुद में वक्त मिले गर खुदा, तो खुद को खुद से देखूं मैं। समझदारी प्यार को भी व्यापार बनाती है प्रेम मिले भी अगर शिशु की भांति देखूं मैं। बेशक़ तेरे चाहने वालों की भीड़ बहुत भारी है गर दिल से उतर गयी तो लानत है मेरे व्यक्तित्व पर जो इक बार पलट कर देखूं मैं।

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