इतनी अहमियत देने के लिये thanks। Happy Teddy Day.
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Happy Teddy Day
Hello कौन, अच्छा तो अब कौन मतलब की पहचान भी नहीं पाये, ऐसे ही धीरे धीरे आप मुझे भी भूल जाएंगे।अरे नहीं यार ,क्या है न कि मैंने हेड फ़ोन लगा रखा है और फोन जेब मे रखा है इसलिए पता नही चल पाया,और बताओ कैसी हो तुम सफाई देते हुये आशु ने पूछा।आशी ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी मस्त हूँ। क्या बात है आजकल कॉलेज नहीं आ रहे हो, पढ़ के पास हो गए क्या ,आशी ने मजाकिया लहज़े में पूंछा। नहीं यार, मैं तो माता रानी के दरबार आया हूँ, बताया तो था आपसे।अरे हाँ यार मैं तो भूल ही गयी थी और बताओ पहुंच गए ठीक ठाक। हाँ पहुंच भी गया हूँ और दर्शन भी कर लिया है अब निकलने की फिराक में हुँ। अच्छा तो मेरे लिए क्या ला रहे हो आशी ने बड़ी उत्सुकता से पूंछा।
आशु- जो आप कहें, अरे नहीं मैं क्या कहूँ जो आपके समझ मे आये ले आना ये कहते हुये आशी ने फोन काट दिया। आशु के लिये यह काफी मुश्किल का काम है क्योंकि यदि बता दिया होता तो आसान रहता।
आशु सोंचने लगे कि अब क्या करें जुड़ा ले लूं बाल में लगाने वाला या फिर सुरमा ले लूं आंख में लगाने वाला अंततः परिणाम यह लिकला कि एक लॉकेट ले लें जिसे आसानी से पहन सकेंगी।
अगले दिन कॉलेज में आशु ले कर गये और वहीं जीने के पास खड़े हो गए जहाँ अक्सर फूल खिला करते थे। आशी किसी तरह लोगों की नजरों से बचते हुये आयी । आशु लॉकेट पकड़ाते हुये , ये लीजिये आपके लिये, अरे ये क्या! मैंने तो मजाक किया था पर आप तो सीरियस हो गये। इतनी अहमियत देने के लिये thanks और क्लास की ओर आशी चली गयी।
Hello कौन, अच्छा तो अब कौन मतलब की पहचान भी नहीं पाये, ऐसे ही धीरे धीरे आप मुझे भी भूल जाएंगे।अरे नहीं यार ,क्या है न कि मैंने हेड फ़ोन लगा रखा है और फोन जेब मे रखा है इसलिए पता नही चल पाया,और बताओ कैसी हो तुम सफाई देते हुये आशु ने पूछा।आशी ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी मस्त हूँ। क्या बात है आजकल कॉलेज नहीं आ रहे हो, पढ़ के पास हो गए क्या ,आशी ने मजाकिया लहज़े में पूंछा। नहीं यार, मैं तो माता रानी के दरबार आया हूँ, बताया तो था आपसे।अरे हाँ यार मैं तो भूल ही गयी थी और बताओ पहुंच गए ठीक ठाक। हाँ पहुंच भी गया हूँ और दर्शन भी कर लिया है अब निकलने की फिराक में हुँ। अच्छा तो मेरे लिए क्या ला रहे हो आशी ने बड़ी उत्सुकता से पूंछा।
आशु- जो आप कहें, अरे नहीं मैं क्या कहूँ जो आपके समझ मे आये ले आना ये कहते हुये आशी ने फोन काट दिया। आशु के लिये यह काफी मुश्किल का काम है क्योंकि यदि बता दिया होता तो आसान रहता।
आशु सोंचने लगे कि अब क्या करें जुड़ा ले लूं बाल में लगाने वाला या फिर सुरमा ले लूं आंख में लगाने वाला अंततः परिणाम यह लिकला कि एक लॉकेट ले लें जिसे आसानी से पहन सकेंगी।
अगले दिन कॉलेज में आशु ले कर गये और वहीं जीने के पास खड़े हो गए जहाँ अक्सर फूल खिला करते थे। आशी किसी तरह लोगों की नजरों से बचते हुये आयी । आशु लॉकेट पकड़ाते हुये , ये लीजिये आपके लिये, अरे ये क्या! मैंने तो मजाक किया था पर आप तो सीरियस हो गये। इतनी अहमियत देने के लिये thanks और क्लास की ओर आशी चली गयी।
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किसी का टाइम पास मत बना देना।
बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।
तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।
जो अमृत है ओ ज़हर कैसे हो तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो। ख़्वाबों के अपने सलीक़े अलग हैं उजालों में इनका असर कैसे हो। इंसानियत प्रकृति की गोद में हो वहां कुदरत का कहर कैसे हो। घरों की पहचान बाप के नाम से हो वह जगह कोई शहर कैसे हो। पीने के योग्य भी न रह गया हो वह जल स्रोत कोई नहर कैसे हो। खुदगर्ज़ी की बांध से जो बंध गया हो उस सागर में फिर कोई लहर कैसे हो। ढल गया हो दिन हवस की दौड़ में फिर उसमें सांझ या दो पहर कैसे हो।
उनका भी इक ख्वाब हैं।
उनका भी इक ख्वाब हैं ख्वाब कोई देखूं मैं उनसे उन्ही की तरह लच्छेदार बात फेकूं मैं। टिकाया है जिस तरह सर और के कंधे पर चाहती है सर अपना किसी और कांधे टेकूं मैं। शौक था नये नजारों का यूँ तो सदा ही देखि ओ चाहत है उसकी कि कहीं और नयन सेकूं मैं। दिल से उसे निकाल कर बचा हूँ कितना खुद में वक्त मिले गर खुदा, तो खुद को खुद से देखूं मैं। समझदारी प्यार को भी व्यापार बनाती है प्रेम मिले भी अगर शिशु की भांति देखूं मैं। बेशक़ तेरे चाहने वालों की भीड़ बहुत भारी है गर दिल से उतर गयी तो लानत है मेरे व्यक्तित्व पर जो इक बार पलट कर देखूं मैं।

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