असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

लाजबाब हो तुम।



मेरे इश्क की आखिरी किताब हो तुम
              लाजवाब से भी ज्यादा लाजवाब हो तुम।

                मालूम, तारीफ़ सुनने को बेताब हो तुम
               मेरी शायरी के हर शब्द का ख्वाब हो तुम।

               झकझोर देगी तुम्हे ये खामोसी भी मेरी
              मेरे बेचैन सवालों का भी जवाब हो तुम।

                उतार लूँ चांद को जमीं पे गर कहो तुम
               मेरे दिल पर हुकूमत-ए- नवाब हो तुम।

               लौट भी आओ कि दिल बहुत उदास है
           'दरिया' की रोजी रोटी का हिंसाब हो तुम।
                                 "दरिया"

Comments

Unknown said…
Nice.......

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