असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जिंदगी ऐसी दुशवार हो गयी।


जिंदगी ऐसी दुशवार हो गयी
जैसे सावन में कुवार हो गयी।

पार होती भी तो कैसे भंवर से
नैय्या अपनी तो पतवार हो गयी।

इज़्ज़त इतनी दे दी उसे
योग्यता अपनी ही गवांर हो गयी।

छड़ी के बदले भुजा दी जिसे
उसके आगे शरीर बेकार हो गयी।

आंखों से ओझल जिसे होने न दिया
उसी के आगे लाचार हो गयी।
"दरिया"

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